SBI में UTR Number क्या होता है?

भारतीय स्टेट बैंक एक भारतीय बहुराष्ट्रीय सार्वजनिक क्षेत्र बैंक है जिसकी भारत में कुल 22405 शाखाएं हैं। भारतीय स्टेट बैंक को भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र बैंक भी कहा जाता है। भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहक को हर तरह की बैंकिंग सुविधा प्रदान करता है।

भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहक द्वारा किए गए ट्रांजैक्शंस का खास ख्याल रखते हुए प्रत्येक ट्रांजैक्शन को एक UTR नंबर प्रदान करता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम इसी UTR नंबर को समझने की कोशिश करेंगे।

UTR नंबर क्या है?

UTR नंबर यानि Unique Transaction Reference नंबर। भारतीय स्टेट बैंक किसी भी माध्यम से किए गए ट्रांजैक्शन को करते समय सिस्टम द्वारा एक UTR नंबर जनरेट करता है। ग्राहक अक्सर UTR नंबर को ट्रांजैक्शन आईडी समझने की भूल कर देता है परंतु ध्यान में रखने वाली बात यह है कि UTR नंबर और ट्रांजैक्शन आईडी दो अलग चीज़ें हैं। UTR नंबर ग्राहक के ट्रांजैक्शन की एक पहचान होती है जो बैंक के रिकॉर्ड के लिए बहुत ज़रूरी होती है।

एक ट्रांजैक्शन को पूरा करते वक्त जो UTR नंबर भेजने वाले के बैंक स्टेटमेंट में पैसा देते वक्त दर्शाया जाता है वही UTR नंबर पैसा पाने वाले के बैंक स्टेटमेंट में भी प्राप्त करते वक्त दर्शाया जाता है। इससे किसी भी ट्रांजैक्शन को आसानी से वेरीफाई किया जा सकता है।

भारतीय स्टेट बैंक के निर्देश के अनुसार एक ग्राहक को UTR नंबर किसी भी अन्य व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए। जब ज़रूरत पड़े तो UTR नंबर केवल बैंक के साथ ही साझा करें। UTR नंबर की गोपनीयता ग्राहक के वित्तीय सुरक्षा के नज़रिए से बहुत ज़रूरी है।

UTR नंबर की ज़रूरत कब पड़ती है?

यूं तो भारतीय स्टेट बैंक के ग्राहक को यह समझने की ज़रूरत है कि UTR नंबर एक बहुत ही आवश्यक नंबर है जिसे ग्राहक की कई परेशानी का समाधान बैंक कर सकता है। हम एक उदाहरण के द्वारा समझाने की कोशिश करते हैं कि UTR नंबर किस प्रकार ग्राहक को मुसीबत से निकल सकता है।

मान लीजिए कि ग्राहक ने UPI का इस्तेमाल करते हुए किसी अन्य व्यक्ति को एक बड़ी रकम भेजी हो। किसी कारण वश नेटवर्क खराब होने की वजह से यह किसी अन्य कारण से ग्राहक का ट्रांजैक्शन पूरा ना हो सके तो ऐसे में ग्राहक के खाते से तो पैसे कट जाते हैं मगर अन्य व्यक्ति के खाते तक पैसे पहुंच नहीं पाते। इस परिस्थिति में ग्राहक का ट्रांजैक्शन पेंडिंग रह जाता है। अब यदि ग्राहक अपने खाते से कटे हुए पैसे को वापस प्राप्त करना चाहे तो वह बैंक जाकर यह करवा सकता है मगर उसके लिए बैंक कर्मचारी उस ट्रांजैक्शन का UTR नंबर मांगेंगे। इस तरह उतर नंबर की मदद से ग्राहक का पेंडिंग ट्रांजैक्शन कैंसिल हो सकता है और ग्राहक के खाते से कटे हुए पैसे वापस आ सकते हैं।

भारतीय स्टेट बैंक अपने रिकॉर्ड में ग्राहक के प्रत्येक ट्रांजैक्शन का UTR नंबर दर्ज रखता है ताकि यदि कभी भविष्य में किसी ट्रांजैक्शन को लेकर विवाद उत्पन्न होता है तो UTR नंबर की मदद से बैंक ग्राहक को सहायता पहुंचा सके। बैंक ग्राहक के UTR नंबर की मदद से ग्राहक के ट्रांजैक्शन की तारीख़ तथा समय, खाते की सारी जानकारी, IFSC कोड, अमाउंट डिटेल इत्यादि सब कुछ चेक कर सकता है।

यदि ग्राहक UPI ट्रांजैक्शन करता है तो ग्राहक जिस ऐप द्वारा ट्रांजैक्शन कर रहा है उसे ऐप की मदद से अपना UTR नंबर कभी भी जांच सकता है। यह जचने के लिए ग्राहक को अपने मोबाइल ऐप की ट्रांजैक्शन हिस्ट्री में जाकर जिस भी ट्रांजैक्शन का चाहे उसे ट्रांजैक्शन का UTR नंबर जांच कर सकता है।

SBI UTR Number

SBI में UTR नंबर का विवरण

भारतीय स्टेट बैंक का ग्राहक विभिन्न माध्यम से ट्रांजैक्शन करता है। प्रत्येक माध्यम से किए गए ट्रांजैक्शन द्वारा जनरेट किया गया UTR नंबर भिन्न नंबर के कैरेक्टर्स का होता है। जैसे की UPI/IMPS द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन से 12 कैरेक्टर्स का UTR नंबर जनरेट होता है। NEFT से किए गए ट्रांजैक्शन द्वारा 16 कैरेक्टर्स का और RTGS द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन से 22 कैरेक्टर्स का UTR नंबर जनरेट होता है।

अब हम निम्नलिखित बिंदुओं से NEFT ट्रांजैक्शन द्वारा जनरेट किए गए 16 कैरेक्टर्स के UTR नंबर का विवरण समझते है-

  • पहले 4 कैरक्टर्स- UTR नंबर के पहले चार कैरेक्टर्स ट्रांजैक्शन में संलग्न मुख्य बैंक का कोड दर्शाते हैं। भारतीय स्टेट बैंक के UTR नंबर के प्रथम चार कैरक्टर्स SBIN होते हैं।
  • 5th करैक्टर- पांचवा करैक्टर “H/P” होता है। यदि पांचवा करैक्टर H हुआ तो इसका मतलब है की ट्रांजैक्शन ब्रांच से जनरेट हुआ है और यदि P हुआ तो इसका मतलब की ट्रांजैक्शन बेक इंड से जनरेट हुआ है।
  • 6th और 7th करैक्टर- छठ और सातवां कैरक्टर वर्तमान वित्तीय वर्ष को दर्शाता है। जैसे कि वर्ष 2024 को 24 द्वारा दर्शाया जाएगा।
  • 8th, 9th और 10th करैक्टर- आठवां, नवां और दसवां कैरक्टर ट्रांजैक्शन जिस दिन हो रहा है उस दिन की गिनती को दर्शाता है। उदाहरण स्वरूप यदि ट्रांजेक्शन 1 जनवरी को हुआ है तो उसे 001 दर्शाया जाएगा और यदि ट्रांजैक्शन 31 दिसंबर को हुआ है तो उसे 365 दर्शाया जाएगा।
  • 11th से 16th करैक्टर- 11वें से 16वें कैरक्टर को सिस्टम ऑटोमेटिक जनरेट करता है।

इस तरह NEFT द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन के UTR नंबर में शुरुआती 10 कैरक्टर्स सामान्य ही होते हैं। अंतिम के 6 कैरक्टर्स प्रत्येक UTR नंबर में भिन्न होते है।

निष्कर्ष

भारतीय स्टेट बैंक का UTR नंबर दरअसल ग्राहक द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन का एक रेफरेंस नंबर होता है जिससे ग्राहक द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन की पहचान होती है। ‌ UTR नंबर प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर जनरेट होता है। यह नंबर भारतीय स्टेट बैंक अपने रिकॉर्ड में दर्ज रखता है ताकि ग्राहक द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन में यदि कोई विवाद उत्पन्न हुआ तो उसे बैंक सहजता से सुलझा सके। इसके अलावा UTR नंबर ग्राहक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के साथ किए गए ट्रांजैक्शन को वेरीफाई करने में भी सहायक होता है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*